Koshisho Ka Safar, Inspiring Hindi Poem, Kavita

कल मुद्दतों बाद कोशिशों के पाँव हिम्मते लेकर मंज़िल से मिलने चले,
मुश्किलों ने रोक के परेशानियों से मिलवाया और हिम्मते कुछ पस्त होने लगी,
अगले मोड़ पर रुकावटों भरी थकान ने पकड़ के बिठा दिया,
हौंसले की हवा ने कोशिशों को सहारा दिया और चल पड़ी वो भी इस सफर में,
धीरे धीरे तेज़ होती थापों की ताल सुनके फिर जोश भी साथ हो लिया,
कदम अब दौड़ रहे थे और मंज़िल करीब लग रही थी,
शाम ने आराम के लिए उकसाया और पेड़ो की घनी छाओं से मिलवाया,
दर्द जाग गया और उठने से मना करके सोने की गुज़ारिश करने लगा,
अँधेरे के डरावने काले बादलों ने भी पलट जाने का हुकम दिया,
सब्र की चांदनी ने बेताब चाहतो को भरोसा दिया और उम्मीदों का वादा किया,
रौशनी की किरणों ने सोयी कोशिशो को झिंझोड़ा,
अब वो पाँव फिर हिम्मतो, जोश और हौंसले के साथ, मंज़िल की और बढ़ रहे हैं!
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